26 March 2008

व्यक्ति का सम्मान लेकर उसे मशीन बनाया जा सकता है



सामाजिक समरसता का मानक मासिक मंडल विचार के प्रवेशांक का लोकार्पण 6 नवंबर 2002 की शाम नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हाल में पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने किया था। सिंह ने मंडल आयोग की अनुशंसाओं को लागू किए जाने के बाद उत्पन्न परिस्थिति पर अपना विचारोत्जोक वक्तव्य दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार राजेंद्र यादव ने की। इस पत्रिका के संपादक श्यामल किशोर यादव हैं और युवा उद्यमी राकेश रोशन ने उस पत्रिका का प्रकाशन किया है। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रत्रकार रामशरण जोशी ने भी अपना वक्तव्य दिया। संचालन पत्रकार सुधीर हिलसायन ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सूरज यादव ने किया।

राजेंद्र यादव ने अपने वक्तव्य में समग्र मंडल आंदोलन को एक छोटे चौखट में कैद किए जाने की विडंबना की और ध्यान दिलाया। उन्हों कहा कि मध्य जातियों ने अपने को स्वतंत्र ही नहीं निरंकुश भी बना लिया। मालिक बनने की उनकी आकंक्षा हिंसक रूप में सामने आई। मंडल का पूरा आंदोलन कुछ विशेष जातियों द्वारा हड़प लिया गया।वीपी सिंह ने लोकार्पण करते हुए कहा कि मंडल महज आरक्षण नहीं एक विचार है।इसे जब समझा जाएगा तभी मंडल की विचारधारा से न्याय हो पायेगा।उन्होंने वर्णवादी व्यवस्था के दोतरफा नकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जहां यह एक ओर पीड़ित शोषित व्यक्ति के जीवन को शर्मनाक बनाता है वहीं दूसरी ओर शोषक व्यक्ति को संवेदनहीन भी बना देता है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति का सम्मान लेकर उसे मशीन बनाया जा सकता है और वर्णवादी व्यवस्था ने यही किया है। श्री सिंह ने हंसते हुए कहा कि एक टेलिफोन डायरेक्टरी एक प्रकार का सत्ता सूचकांक होती है।उन्होंने कहा कि आप किसी डायरेक्टरी को उलट कर देखिए सारे महत्वपूर्ण पदों पर आप अगडों को ही पाइयेगा।मीडिया व निजी क्षेत्र समेत सभी सत्ता प्रतिष्ठानों पर अगडों के वर्चस्व को समाज के लिए अहितकर माना।उन्होंने इस पत्रिका को एक महत्वपूर्ण शुरूआत माना।

इस अवसर पर पत्रिका के संपादक श्यामल किशोर यादव ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि किसी पत्रिका का लोकार्पण लेखक की मानसिक प्रसव पीडा. के उपरांत जन्म का उत्सव होता है। उन्हों 'मंडल विचार' पत्रिका को सामाजिक समरसता का पैगाम लेकर आने वाला बताया।रामशरण जोशी ने कहा कि हिंदी ग्रामीण पट्टी में नेतृत्व शून्यता का फायदा उठाने की कोशिश कमंडल कर रही है। उन्होंने दलितों - पिछड़ों व शोषितों के साझा पलेटफार्म बनाए जाने पर जोर दिया। मंडल विचार 44 पृष्ठों की समाचार विचार की पत्रिका है।यह अंक आरक्षण के बाद के परिस्थितियों की पड़ताल बारीकी से करता है। यह अंक भाजपा के साथ अन्य पार्टियों की जुगलबंदी से आरक्षण अपहरण के प्रयासों का भी खुलासा करती है।संपादकीय भी इसी विषय पर केंद्रित है। इसका एक भरा पूरा सांस्कृतिक खंड भी है जिसमें कहानी, कविता, पुस्तक समीक्षा और लघु कथा आदि है।